शायद इंसान इसीलिए इस ग्रह का सबसे समझदार प्राणी कहा जाता है। विषम से विषम परिस्थिति में भी वह अपने अस्तित्व को बरकरार रखने की जुगत बनाए रखता है। देशों के बीच जिस तरह से परमाणु हथियारों की होड़ हो रही है और जंगी उन्माद चरम पर है, उसमें खुद को सुरक्षित रखना इंसान के लिए बड़ी चुनौती है। ऐसे हालात में इंसानियत को सुरक्षित रखने के प्रयास शुरू हो गए हैं। अमेरिका के साउथ डकोटा शहर में वाइवोस कंपनी ऐसे बंकरनुमा घरों का निर्माण कर रही है, जो बड़ी प्राकृतिक आपदाओं से लेकर परमाणु विस्फोटों तक से इंसानों की रक्षा करेगा। अगर आप जान है तो जहान है, में यकीन करते हैं तो थोड़ी सी जेब ढीली करके इस ढाल नुमा आशियाने को अपना बना सकते हैं। अमेरिका में तैयार हो रहे हैं बंकरनुमा घर 80 फीट लंबाई, 26 फीट चौड़ाई 5 लाख टन क्षमता का बम विस्फोट सह सकेंगे। 10-20 लोग एक घर में रह सकेंगे। 14वर्ग किमी क्षेत्रफल में बंकर बने हैं। अस्तित्व रहेगा बरकरारः-साउथ डकोटा में बनाई जा रही इस सोसायटी में स्कूल, कॉलेज, जिम, चर्च, गार्डन, शूटिंग रेंज, थिएटर व अन्य सभी साधन सुविधाएं मौजूद होंगी। हर बंकर में एक साल का अनाज और अन्य खाद्य सामग्री जमा करके रखी जा सकेगी। इस पूरी सोसायटी में पांच हजार लोग रह सकेंगे। वज्र और भव्यः- सुरक्षा के लिहाज से अगर ये घर वज्र सरीखे हैं तो अंदर इनकी भव्यता में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी गई है। इन बंकरों को आलीशान घरों की तरह डिजायन किया गया है। इसमें होम थिएटर, स्नूकर टेबल, खिड़कियों के स्थान पर एलसीडी स्क्रीन लगाई गई हैं। वाइवोस एक्स प्वाइंटः- यह बंकरनुमा घरों की पूरी सोसाइटी बन रही है। कंक्रीट और स्टील के बने एक बंकर में दस से बीस लोग रह सकेंगे। इनकी कीमत 25 हजार से दो लाख डॉलर तक है। सालाना मेंटेनेंस खर्च एक हजार डॉलर होगा। इन घरों में अगले साल से लोग रह सकेंगे। सेना के लिए बने थेः-साउथ डकोटा का यह इलाका 1940 में अमेरिकी सेना के लिए बनाया गया था। इन बंकरों में सेना के हथियार व बम रखे जाते थे। सेना ने 1967 में इसका इस्तेमाल बंद कर दिया। कंपनी के अन्य प्रोजेक्टः- कंपनी ने जर्मनी और इंडियाना में चार सितारा होटल की तर्ज पर यह बंकर बनाए हैं। इनमें स्विमिंग पूल, अस्पताल और बार भी मौजद हैं। इनकी पहरेदारी के लिए बंदूकधारी गार्ड भी तैनात हैं। जर्मनी के रोथनस्टीन गांव में बने वाइवोस यूरोपा वन के बंकर परमाणु विस्फोट, रसायनिक उत्सर्जन, भूकंप और सुनामी जैसी आपदाओं से रक्षा कर सकेंगे।
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