हाल ही में बीजिंग में एक ऐसी बैटरी तैयार की गई है, जिसमें बैटरी तैयार करने वाले लोगों का दावा है कि इस बैटरी की सहायता से आप सिर्फ 6 मिनट में फोन चार्ज कर सकते हैं।
स्मार्टफोन यूजर्स अक्सर बात को लेकर परेशान रहते हैं कि उनके फोन की बैटरी बहुत जल्दी खत्म हो जाती है। हालांकि ये बहुत नॉर्मल प्रॉब्लम है, जिससे अधिकतर फोन यूजर्स परेशान रहते हैं। फोन के मल्टी टास्किंग होने के चलते इनका यूज मल्टी पर्पज होता है। इसके चलते फोन में इंटरनेट ऑन रखना पड़ता है। ऐसे में फोन की बैटरी 24 घंटे तक नहीं चल पाती, लेकिन अब इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है।
हाल ही में बीजिंग में एक ऐसी बैटरी तैयार की गई है, जिसमें बैटरी तैयार करने वाले लोगों का दावा है कि इस बैटरी की सहायता से आप सिर्फ 6 मिनट में फोन चार्ज कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर एक ब्रिटिश कंपनी ने दावा किया है कि उन्होंने हाइड्रोजन की बैटरी बनाई है, जो स्मार्टफोन्स को 7 दिन तक लंबा बैकअप देने में सक्षम है। इस बैटरी में टाइटेनियम डाइऑक्साइड को एल्यूमिनियम के चारों तरफ लगाया है, जो बैटरी के निगेटिव इलेक्ट्रोड की तरह काम करेगा।
साथ ही, कंपनी की मानें तो इसमें मौजूदा लिथियम बैटरी की तुलना में चार गुना ज्यादा कैपेसिटी होगी। इस रिसर्च को एल्यूमिनियम में पुरानी लिथियम बैटरी को रखकर किया गया है, जिसके बाद ये नतीजे सामने आए कि एल्यूमिनियम एक हाई कैपेसिटी का मैटेरियल है, लेकिन ये चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के साथ सिकुड़ता है।
स्मार्टफोन यूजर्स अक्सर बात को लेकर परेशान रहते हैं कि उनके फोन की बैटरी बहुत जल्दी खत्म हो जाती है। हालांकि ये बहुत नॉर्मल प्रॉब्लम है, जिससे अधिकतर फोन यूजर्स परेशान रहते हैं। फोन के मल्टी टास्किंग होने के चलते इनका यूज मल्टी पर्पज होता है। इसके चलते फोन में इंटरनेट ऑन रखना पड़ता है। ऐसे में फोन की बैटरी 24 घंटे तक नहीं चल पाती, लेकिन अब इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है।
हाल ही में बीजिंग में एक ऐसी बैटरी तैयार की गई है, जिसमें बैटरी तैयार करने वाले लोगों का दावा है कि इस बैटरी की सहायता से आप सिर्फ 6 मिनट में फोन चार्ज कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर एक ब्रिटिश कंपनी ने दावा किया है कि उन्होंने हाइड्रोजन की बैटरी बनाई है, जो स्मार्टफोन्स को 7 दिन तक लंबा बैकअप देने में सक्षम है। इस बैटरी में टाइटेनियम डाइऑक्साइड को एल्यूमिनियम के चारों तरफ लगाया है, जो बैटरी के निगेटिव इलेक्ट्रोड की तरह काम करेगा।
साथ ही, कंपनी की मानें तो इसमें मौजूदा लिथियम बैटरी की तुलना में चार गुना ज्यादा कैपेसिटी होगी। इस रिसर्च को एल्यूमिनियम में पुरानी लिथियम बैटरी को रखकर किया गया है, जिसके बाद ये नतीजे सामने आए कि एल्यूमिनियम एक हाई कैपेसिटी का मैटेरियल है, लेकिन ये चार्जिंग और डिस्चार्जिंग के साथ सिकुड़ता है।
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