Sunday, 19 February 2017

जानिए असल में कितनी कीमत पर बनते हैं आईफोन

यह सवाल हमेशा युवा पीढ़ी के मन में रहता है कि एप्पल के स्मार्टफोन्स आखिरकार बनते कहां हैं? क्या ये मेड इन चाइना होते हैं या फिर इन्हें अमरीका के कैलिफॉर्निया में बनाया जाता है। आज हम आपको बतानें जा रहे हैं कि एप्पल का स्मार्टफोन कितनी लागत में असेंबल होता है और इन प्रॉडक्ट्स की वास्तविक लागत कितनी होती है।एप्पल स्मार्टफोन बनाने में कई कंपनियों का हाथ -एप्पल के स्मार्टफोन बनाने में कई कंपनियों का हाथ है। एप्पल की खासियत यह है कि वह अपने प्रॉडक्ट्स के पार्ट्स अलग-अलग जगह और देशों में बनवाती है। जैसे कि एप्पल के ज्यादातर स्क्रीन डिस्प्ले जापान में बनते हैं, कुछ डिस्प्ले साउथ कोरिया में एलजी द्वारा बनाए जाते हैं। इसके अलावा टच आईडी सेंसर ताइवान में TSMC कंपनी द्वारा बनाए जाते हैं। इस तरह अलग-अलग पार्ट्स बनाने की लिस्ट काफी लंबी है। आपको जानकर हैरानी होगी कि एप्पल के दुनियाभर में 200 से ज्यादा सप्लायर्स हैं।एप्पल के प्रॉडक्ट्स पर मेड इन चाइना लिखा होता है। उसकी वजह यह है कि एप्पल डिवाइस की अधिकतर असेंबलिंग चाइना में होती है उसके बाद उसे कम्पलीट कर दूसरे देशों में भेजा जाता है।

LCD और LED में क्या अंतर है

LCD और LED

मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन LCD और LED है क्योकि पहले टीवी था पर टीवी में बदलाव करके ही LCD और LED बनी और LCD और LED  के बारे में तो सायद आप सभी ही जानते होगे क्योकि आज सायद ही कोई ऐसा बचा है जिसने टीवी नही देखा और आज जगह जगह पर LCD और LED लगी होती है तो सभी को पता ही चल जाता है की ये क्या है पर सीधे ही LCD और LED नही बनाई गयी थी



तो बाजार में विकल्पों की भरमार है. हम असमंजस में पड़ जाते हैं कि कौन सा टीवी अच्छा है. तो आपको फेसला करने में आसानी हो इसके लिए जरूरी है कि आप पहले तय कर लें कि आपको किस तरह की टीवी चाहिए. LCD या  LED तो में आज आपको बताउगा LCD और  LED जिस से आप आसानी से यह देख सकते है की कोन सा खरीदे क्योकि इनमे बहुत अंतर है.

LCD (liquid-crystal display)



LCD, या लिक्विड क्रिस्टल डिस्पले, टेलीविजन में फ्लैट-पैनल डिस्पले होता है और इसको जॉर्ज एच Heilmeier, ने बनाया जो एक एक बिजली इंजीनियर थे उन्होंने  1960 में टीवी में कुछ बदलाव करके स्क्रीन डिस्प्ले बनाने की सोची जिसमे क्रिस्टल का इस्तेमाल किया और और उन्होंने स्क्रीन डिस्प्ले तेयार कर दी और एलसीडी टेलीविजन कैथोड रे ट्यूब (सीआरटी यानी टीवी) से पतली और हल्की होती है और टीवी के मुकाबले कम लाइट लेती है और अच्छी स्क्रीन होती है  यह स्क्रीन लाइट को रोकने या उसे गुजरने देने के लिए लिक्विट क्रिस्टल के लाइट-मॉड्यूलिंग गुणों का इस्तेमाल करती है. इनमें से हर क्रिस्टल ईमेज का नन्हा टुकड़ा तैयार करता है और एक साथ मिलकर एकदम स्पष्ट ईमेज बनाता है.  और क्रिस्टल को आमतौर पर पिक्सल कहा जाता है बिजली के करंट को घटाकर या बढ़ाकर इस ईमेज के रंग और पारदर्शिता को बदला जा सकता है .

LED (Light Emitting Diode)


LED  टीवी वैसे तो LED का नया रूप है इसके अलावा इसकी पिक्चर क्वालिटी में दमदार होती है और इसकी लाइफ भी ज्यादा होती है। क्योकि LED, या लाइट-एमिटिंग डायोड स्क्रीन अपने समरुप LCD वाली तकनीक का ही प्रयोग किया गया है पर एक अंतर है कि ये फ्लोरोसेंट बल्ब से प्रकाशित होने की जगह लाइट निकालने वाले डायोड से जलते हैं ये बल्ब तुलनात्मक रूप से अधिक छोटे होते हैं. लेकिन फ्लोरोसेंट बल्ब से ये अधिक सक्षम होते हैं

Thursday, 16 February 2017

Jio का 4G स्मार्टफ़ोन आ रहा है - इतना सस्ता आप सोच भी नहीं सकते!

रिलायंस Jio अब मार्किट में 4G वॉइस VoLTE फीचर वाला स्मार्टफोन लांच करने वाली है जिसकी कीमत 1000 रुपए से 1500 रुपए के बीच रह सकती है.


Jio ने जब से इंडिया के telecom सेक्टर में कदम रखा है तब से आज तक वो अपने विरोधी कंपनियों को एक बाद एक सिरदर्दी देता जा रहे है और Jio अब बाजार में स्मार्टफोन को लांच करनी की फ़िराक में है.

माना जा रहा है jio का स्मार्टफोन जिसकी कीमत सिर्फ 1000 रुपए के आस पास रहेगी जो दुनिया भर में धूम मचायेगा और ग्राहकों को सबसे सस्ती सर्विस भी देगा.

सूत्रों के अनुसार Jio का स्मार्टफोन 31 मार्च तक बाजार में आ सकता है.

Sunday, 5 February 2017

फोन पर सबसे पहले हैलो ही क्यों

हम किसी को फोन करने पर हैलो ही क्यों कहते हैं! हम चाहे फोन रिसीव करें या कॉल करें। हमारा सबसे पहला शब्द होता है हैलो। आखिर हम इसी शब्द का इस्तेमाल क्यों करते हैं! अगर ये कहा जाय कि यह किसी का नाम है तो आप सोंच में पड़ जाएंगे।
जी हां, यह नाम था वैज्ञानिक ग्राहम बेल के एक दोस्त का। जिसका पूरा नाम मारग्रेट हैलो था। ग्राहम बेल जिसे प्यार से हैलो कहते थे। ग्राहम बेल ने टेलीफोन का आविष्कार किया था। वह जब भी अपने दोस्त को फोन करते तो उसे हैलो कहते थे तब से यह शब्द प्रचलित हो गया।
वैसे यह भी खूब है कि लोग भले ही यह न जानते हों कि टेलीफोन का आविष्कार किसने किया लेकिन हैलो को तो जानते ही हैं। पूरी दुनिया में जब भी कोई किसी को फोन करता है तो उसे हैलो से ही अपनी बात शुरू करनी होती है।
आपको यह भी बता दें कि वैज्ञानिक एलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने ही मेटल डिटेक्टर का आविष्कार भी किया था। जिसे आज सुरक्षा के लिए बडे पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है।